देवी दुर्गा के विविध रूप हैं। कहा जाता है कि दुर्गा का निर्माण एक योजना के तहत हुआ। महिषासुर किसी के बस में नहीं आ रहा था। धरती पर अत्याचार और अनाचार बढ रहे थे। इस कारण आम और खासजन में हाहाकार, भय और अफरा-तफरी थी। ऐसे में बुराइयों के नाश के लिए एक महाशक्ति की जरूरत थी।
तब विष्णु, ब्रह्मा, शिव, इंद्र आदि प्रमुख देवों के तेजों के सम्मिश्रण से देवी दुर्गा का जन्म हुआ। तत्पश्चात तमाम प्रमुख देवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र दुर्गा को दिए। सर्वगुण सम्पन्न, शक्ति और क्षमताओं से सम्पन्न दुर्गा ने महिषासुर का वध किया तो वह सर्वत्र लोकप्रिय हो गई और दुर्गा मां के रूप में पूजी जाने लगी। दुर्गा सप्तशती में उनके १०८ नाम हैं।
ये नाम इस प्रकार हैं-१. चामुंडा, २. वाराही, ३. लक्ष्मी, ४ पुरूषाकृति, ५. विमला, ६. उत्कर्षिणी, ७ ज्ञाना, ८. क्रिया, ९. नित्या, १०. बुद्घिदा, ११. बहुला, १२. बहुलप्रभा, १३. हर्षवाहन, १४. वाहना, १५. सत्या, १६. मधुकरमहंती, १७. चंद्रमुंड विनाशिनी, १८. सर्वासुर विनाशा, १९. सर्वदानवद्याातिनी, २०. सर्व शास्त्रमयी।
२१. सर्वस्वधारिणी, २२.अनेकास्त्रहस्ता, २३. कुमारी, २४. अनेकास्त्रधारिणी, २५. एककन्या, २६. कैशोरी, २७. युवती, २८. यति, २९. अप्रौढा, ३० प्रौढा, ३१. बृद्घमाता, ३२. बलप्रदा, ३३. महादरी, ३४. मुक्तकेशी, ३५. घोररूपा, ३६. महाबला, ३७. अग्निज्वाला, ३८. रौद्रमुखी, ३९ कालरात्रि, ४०. तपस्विनी।
४१. नारायणी, ४२. विष्णुमाया, ४३. जलोदरी, ४४ शिवदूती, ४५. कराली, ४६. प्रत्यक्षा, ४७. अनंता, ४८. परमेश्वरी, ४९. कात्यायनी, ५०. सावित्री ५१. ब्रह्मवादिनी, ५२. आर्या, ५३. जया, ५४. आद्या, ५५. भवानी, ५६. दुर्गा, ५७. भ्रदकाली, ५८. चितरूपा, ५९. महातपा:, ६०. सती।
६१. त्रिनेत्रा, ६२. शूल धारिणी, ६३. पिनाक धारिणी, ६४. चित्रा, ६५. चंडघंटा, ६६. मन:, बुद्घि, ६७. अहंकारा, ६८. चित्तरूपा, ६९. चिता, ७०. चिति:, ७१. सर्वमंत्रयणी, ७२. भव्या, ७३. भाविनी, ७४. भाव्या, ७५. अभव्या, ७६. सदागति, ७७. शांभवि, ७८. देवमाता।
७९. चिंता, ८०. रत्नप्रिया, ८१. सर्वविद्या, ८२. दक्षकन्या, ८३. दक्षयज्ञविनाशिनी ८४. पाटला, ८५. अनेक वर्णा, ८६. पाटलावती, ८७. अपर्णा, ८८. पट्टांबरपरिधाना, ८९. क्रूरा, ९०. सुंदरी, ९१. सुरसुंदरी, ९२.कलमज्जीरंजिनी, ९३. वनदुर्गा, ९४. अभयविमा, ९५. मातंडी, ९६. मंतगमुनि, ९५. पूजिता, ९८. ब्राह्मी।
९९. माहेश्वरी, १००. ऐंद्री, १०१. कौमारी, १०२. वैष्णवी, १०३. महिषासुरमर्दिनी, १०१. सिंहवाहिनी, १०५ण् शक्तिस्वरूपपा, १०६. पापविनाशिनी।
Thanks to Golden India Magazine.
From Wing Chun India Team Wing Chun In India
तब विष्णु, ब्रह्मा, शिव, इंद्र आदि प्रमुख देवों के तेजों के सम्मिश्रण से देवी दुर्गा का जन्म हुआ। तत्पश्चात तमाम प्रमुख देवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र दुर्गा को दिए। सर्वगुण सम्पन्न, शक्ति और क्षमताओं से सम्पन्न दुर्गा ने महिषासुर का वध किया तो वह सर्वत्र लोकप्रिय हो गई और दुर्गा मां के रूप में पूजी जाने लगी। दुर्गा सप्तशती में उनके १०८ नाम हैं।
ये नाम इस प्रकार हैं-१. चामुंडा, २. वाराही, ३. लक्ष्मी, ४ पुरूषाकृति, ५. विमला, ६. उत्कर्षिणी, ७ ज्ञाना, ८. क्रिया, ९. नित्या, १०. बुद्घिदा, ११. बहुला, १२. बहुलप्रभा, १३. हर्षवाहन, १४. वाहना, १५. सत्या, १६. मधुकरमहंती, १७. चंद्रमुंड विनाशिनी, १८. सर्वासुर विनाशा, १९. सर्वदानवद्याातिनी, २०. सर्व शास्त्रमयी।
२१. सर्वस्वधारिणी, २२.अनेकास्त्रहस्ता, २३. कुमारी, २४. अनेकास्त्रधारिणी, २५. एककन्या, २६. कैशोरी, २७. युवती, २८. यति, २९. अप्रौढा, ३० प्रौढा, ३१. बृद्घमाता, ३२. बलप्रदा, ३३. महादरी, ३४. मुक्तकेशी, ३५. घोररूपा, ३६. महाबला, ३७. अग्निज्वाला, ३८. रौद्रमुखी, ३९ कालरात्रि, ४०. तपस्विनी।
४१. नारायणी, ४२. विष्णुमाया, ४३. जलोदरी, ४४ शिवदूती, ४५. कराली, ४६. प्रत्यक्षा, ४७. अनंता, ४८. परमेश्वरी, ४९. कात्यायनी, ५०. सावित्री ५१. ब्रह्मवादिनी, ५२. आर्या, ५३. जया, ५४. आद्या, ५५. भवानी, ५६. दुर्गा, ५७. भ्रदकाली, ५८. चितरूपा, ५९. महातपा:, ६०. सती।
६१. त्रिनेत्रा, ६२. शूल धारिणी, ६३. पिनाक धारिणी, ६४. चित्रा, ६५. चंडघंटा, ६६. मन:, बुद्घि, ६७. अहंकारा, ६८. चित्तरूपा, ६९. चिता, ७०. चिति:, ७१. सर्वमंत्रयणी, ७२. भव्या, ७३. भाविनी, ७४. भाव्या, ७५. अभव्या, ७६. सदागति, ७७. शांभवि, ७८. देवमाता।
७९. चिंता, ८०. रत्नप्रिया, ८१. सर्वविद्या, ८२. दक्षकन्या, ८३. दक्षयज्ञविनाशिनी ८४. पाटला, ८५. अनेक वर्णा, ८६. पाटलावती, ८७. अपर्णा, ८८. पट्टांबरपरिधाना, ८९. क्रूरा, ९०. सुंदरी, ९१. सुरसुंदरी, ९२.कलमज्जीरंजिनी, ९३. वनदुर्गा, ९४. अभयविमा, ९५. मातंडी, ९६. मंतगमुनि, ९५. पूजिता, ९८. ब्राह्मी।
९९. माहेश्वरी, १००. ऐंद्री, १०१. कौमारी, १०२. वैष्णवी, १०३. महिषासुरमर्दिनी, १०१. सिंहवाहिनी, १०५ण् शक्तिस्वरूपपा, १०६. पापविनाशिनी।
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Jai Ma Durge......... Like
जवाब देंहटाएंदेवी दुर्गा के विविध रूप को कोटि कोटि नमन।
जवाब देंहटाएंचैत्र की नवरात्र के महीने में माँ दुर्गा का दर्शन करना बड़ा ही फलदाई होता हैं।
राधे यादव
Nice blog and its looks very attractive
जवाब देंहटाएंGOOD ARTICLE
MUMBAI AMARDEEP TEAM
Jai Mata Di
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